हम बेटियां बनकर आई हैं मां-बाप के जीवन में। बसेरा होगा हमारा कल किसी और के आंगन में। देकर जन्म पाल के हमको जिदा किया। और फिर वक्त आने पर अपने ही हाथों से जिदा किया। क्यों ये रीत खुदा ने बनाई होगी? क्यों ये रीत खुदा ने बनाई होगी? कहते हैं आज नहीं तो कल को बेटी पर आई होगी। क्यों ये रिश्ता इतना अजीब होता है? क्यों यह रिश्ता इतना अजीब होता है? क्या यही हम बेटियों का नसीब होता है?

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