अब मेरा मन नहीं करता यार किसी से बहस करने का। पहले मैंने घंटों बिताए लोगों को अपनी बात सही साबित करने में पर कोई फायदा नहीं हुआ उसका। लोग ना अपनी सहूलियत के हिसाब से ही आपकी बातों का मतलब निकालते हैं। तो अब जिंदगी का सिंपल सा उसूल है। जो मान ले उसका भी भला, जो ना माने उसका
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