रेशम का हो बदशाला या कफ़न सिपाही वाला ओढ़ेंगे हम जो भी तू बुने ओ देश मेरे तेरी शान पे सदके कोई धन है क्या तेरी धूल से बढ़के तेरी धूप से रोशन तेरी हवा पे जिंदा तू बाग है मेरा मैं तेरा परिंदा

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